15वे राष्ट्रपति के रूप में द्रोपदी मुर्मू जी का चयन सनातन संस्कृति के एक पद चिन्ह के रूप में

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देश के 15 में राष्ट्रपति के रूप में आदिवासी महिला का चयन देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था को एक नए पवित्र आयाम को प्रस्तुत करता है। यह सफल प्रयास भारत के करोड़ों महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का विषय है जो भारतीय सनातन संस्कृति में मातृशक्ति के समाज में उचित प्रतिनिधित्व एवं उनके समाज के प्रति समर्पण एवं सत्य निष्ठा को सम्मान दिलाता है । सदियों की मानसिक दासता को समाप्त करते हुए आज जिस प्रकार द्रोपदी मुर्मू जी को भारत का राष्ट्र राष्ट्रपति नियुक्त किया गया है । यह एक नए भारत के पुनरुत्थान की ओर बढ़ा हुआ एक नवीन प्रयास है। सफल एवं सकारात्मक प्रयास को भारतीय समाज में सभी की सहभागिता को पुनर्स्थापित होते हुए दिखता है । यह इस विचारधारा पर एक कठोर प्रहार है ‘जो यह बार-बार इंगित करता है कि भारतीय सामाजिक व्यवस्था में सभी को समान समानता का अवसर नहीं रहा है ।इस प्रयास से भारत पुनः अपनी संस्कृति के साथ न्याय करता हुआ दिख रहा है ‘जिसमें सभी को समान प्रतिनिधित्व करने का आधिकार प्राप्त है।तथा समाज में वर्ण व्यवस्था का आधार सामाजिक संरचना को व्यवस्थित करने की उद्देश्य से था ना कि सतत , इसका
प्रत्यक्ष उदाहरण हमें इस श्लोक से प्राप्त होता है।
जन्मना जायते शूद्र कर्मणा द्विज उच्यते ॥
यह पवित्र एवं सकारात्मक प्रयास सशक्त एवं समृद्ध राष्ट्र की ओर बढ़ते हुए एक सफल प्रयास के रूप में दिख रहा है जिसमें समाज के सभी वर्ग का समान योगदान दिख रहा है ।

Dr Abhinandan Pati Tiwari

                                                                                                 भारतीय शिक्षण मंडल दक्षिण, तमिलनाडु

navsrijanabhi@gmail.com

 

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