नर से नारायण बनकर जीवन को सार्थक करें – भय्याजी जोशी

0
121

ग्वालियर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य भय्याजी जोशी ने कहा कि बाहरी साधनों के साथ हमें आंतरिक विकास भी करना चाहिए. तभी सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास होगा. नर से नारायण बनकर ही भारतीय विश्व का मार्गदर्शन कर सकेंगे.

भय्याजी जोशी राष्ट्रोत्थान न्यास के तीन दिवसीय ज्ञान प्रबोधिनी व्याख्यान माला के समापन समारोह में संबोधित कर रहे थे. जीवाजी विश्वविद्यालय के अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में हिन्दू दर्शन में व्यक्तित्व विकास विषय पर व्याख्यान दे रहे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्यभारत प्रांत संघचालक अशोक पांडे जी ने की. मुख्य अतिथि जीवाजी विवि के कुलपति डॉ. अविनाश तिवारी थे. विशेष अतिथि सेवानिवृत्त आईएएस आरके जैन थे.

मुख्य वक्ता भय्याजी जोशी ने स्वामी विवेकानंद का उद्धरण देते हुए कहा कि स्वामी जी कहते थे.. भारत की नींव वैचारिक रूप से हमेशा से मजबूत रही है, बस इसके भवन के जीर्णोद्धार की आवश्यकता है.

भारत की श्रेष्ठ परम्पराएं, मान्यताएं ही हमें श्रेष्ठ बनाती हैं. इसी मार्ग पर चलकर भारत पुन: विश्वगुरू बनने के मार्ग पर गतिमान है. भारतीय संस्कृति व ज्ञान परंपरा से पूरा विश्व लाभान्वित होता रहा है. भारत वसुधैव कुटुंबकम के विचार के साथ चलने वाला देश है. हम शक्ति की आराधना करते हैं, किंतु उस शक्ति का उपयोग मानवता के हित में होना चाहिए. हम शास्त्र का अध्ययन करते हैं तो शास्त्र की रक्षा के लिए शस्त्र का भी अध्ययन करते हैं.

मुख्य अतिथि कुलपति डॉ. अविनाश तिवारी ने कहा कि सफलता के लिए लक्ष्य निर्धारण करना जरूरी है. विद्यार्थियों के भ्रम को दूर करने के लिए करियर काउंसलिंग बहुत जरूरी है.

प्रांत संघचालक अशोक पांडे जी ने कहा कि भारतीय चिंतन का सार वसुधैव कुटुम्बकम है. समाज में समन्वय, आत्मीयता बहुत आवश्यक है. हिन्दुत्व के चिंतन से ही विश्व की समस्या का समाधान संभव है. इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत राष्ट्रोत्थान न्यास के अध्यक्ष राजेन्द्र बांदिल और सचिव अरुण अग्रवाल ने किया. एकल गीत ऋषिकांत द्विवेदी ने प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का संचालन रविन्द्र दीक्षित एवं आभार अरुण अग्रवाल ने व्यक्त किया. कार्यक्रम का समापन वंदेमातरम गीत से हुआ.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here