एरुक्कूर नीलकंठ ब्रह्माचारी

0
80

 

तमिलनाडु के मणियाची रेलवे स्टेशन में देशभक्त वांजीनाथन से कलेक्टर आष मारा गया।

उस मुकदमे में अपराधी बनाने के कारण श्री नीलकंठन का नाम देश भर में प्रसिद्ध हुआ।

4 दिसंबर 1889 को षीरकाषी के पास के एरुक्कनचेरी गांव में सिवारामाकृष्णन और सुब्बुताय दम्पति के श्रेष्ठ पुत्र है श्री एरुक्कूर नीलकंठ ब्रह्मचारी।

बंगाल राज्य धर्म के आधार पर लॉर्ड कर्सन से विभाजन किया गया। इससे देशभर में अशांति पैदा हुए। इस संबंधित श्री बिपिन चंद्रपालजी चेन्नई समुद्र तट पर आयोजित किए गए सभा में भाषण दिए थे। उस भाषण को सुने कई नौजवान क्रान्तिकारी वीर बन गए।

उन लोगों में हमारा नीलकंठ भी एक है, अपनी छोटी अवस्था में भारत की स्वतंत्रता के लिए “अभिनव भारत” नामक क्रान्तिकार अभियान शुरू करके 20,000 से अधिक सैनिकों को एकत्र करके आंदोलन चलाने तैयार हो गये।

उनके जीवन में बहुतसारे समय भारत के विभिन्न जिलों में बीत गए।

अपने जीवन से विमुक्त कर शेष काल में मैसूर के नंदी पहाड़ीतट पर आश्रम बनाकर श्री ओमकारानंद स्वामीजी के नाम पर गुज़रकर 88 साल की उम्र में स्वर्ग सिधारे।

श्री नीलकंठ ब्रह्मचारी के जीवन से वास्तव में देशभक्ति क्या है, उस देश भक्ति के लिए एक आदमी कितने हद तक जाके त्याग करनेवाला है, यह हम खूब समझ सकते हैं। अपने युग में जिन्दा ऐसे महान के इतिहास को जनता कभी नहीं भूलेंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here